तुने मुझे कभी समझा नहीं..
उस नजर से देखा था..
नजरों की मोहब्बत को,
गुनाहे अजीज समझा था।।
एक बार समझ ली होती,
मेरी भी धडकते रूह को,
सरेआम मुझे कत्ल नहीं होता,
इस मोहब्बत के नम पें।।
वाह खुदा भी क्या बनाया था,
तेरी कातील नजर को,
कत्ल करके भी
जो न अॉसू बहाये
ऐसे इंसान को.. ।।. निरंजन कुमार
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प्यारी रचना
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