नजर से

नजर से

Originally published in hi
Reactions 0
450
Niranjan Kumar
Niranjan Kumar 12 Oct, 2020 | 1 min read

‍‍तुने मुझे कभी समझा नहीं..

उस नजर से देखा था..

नजरों की मोहब्बत को,

गुनाहे अजीज समझा था।।

एक बार समझ ली होती,

मेरी भी धडकते रूह को,

सरेआम मुझे कत्ल नहीं होता,

इस मोहब्बत के नम पें।।

वाह खुदा भी क्या बनाया था,

तेरी कातील नजर को,

कत्ल करके भी

जो न अॉसू बहाये

ऐसे इंसान को.. ।।.      निरंजन कुमार 

0 likes

Published By

Niranjan Kumar

niranjankumar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    प्यारी रचना

Please Login or Create a free account to comment.