आज तूने क्या छुपाकर रखा है
कुछ तो दबाकर रखा है
आज तू कुछ बताएगा
या यू ही मुँह फुलायेगा
क्यों यूही रंग बदलता रहता है...
क्या कुछ कहते चलता है??
लोग तो तुझे बादल कहते हैं
कुछ तो गरज या बरस...
यूही यू रंग बनाएं रखा है
कभी सफेद तो कभी काला...
कुछ तो करम कर दे, थोड़ा सा रहम कर दे...
धरती माता को थोड़ा सा तृप्ति कर दे...
तुमसे है आसमांं की शान
तुम बिन सुना जग संसार,
चित्रकला के तुम हो उस्ताद...
कितने जाने.... मन मोहक दृश्य तुम्हारे..
सबको लगते प्यारे न्यारे....
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