दोउ भाई (अवधी भाषा)

एक कोशिश अवधी भाषा सीखने की, लिखने की

Originally published in hi
Reactions 0
575
Neha Srivastava
Neha Srivastava 19 Jun, 2020 | 1 min read

संटू बंटू है दो भाई ,

शैतानी से भरी पिटारी

खेलत- खेलत संग खिलौने

कोउ न चाहत साथी संगी

कबहू -कबहुँ लड़ते लड़ाई

घर की जैसे शामत आयी

आपसे में खेलत दोउ भाई,

अपनी दुनिया जीते संगी

दोऊ के शौक निराले

एक पढ़ाईयल और मिठाईयल

दूसर खेलवया और नमकिनल

दोऊ ऐसे लागत संगी

जैसे लागत लव कुश संगी

ऐसा कबहूँ न होए भाई

खेलते समय होइहे लड़ाई

अपसे मे बतियाते बतिया

कोऊ ना समझ सके

दोऊ हैं एक दुसरे के साथी

कोऊ उनको ना समझ सके।।

दोऊ एक दुसरे को सिखलाते,

बचपन के अनमोल पल बतियाते,

समझे एक दूसरे को दोऊ

कौउ न चाहत साथी संगी।।


0 likes

Published By

Neha Srivastava

nehadeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.