रुपा क्या हुआ तू, इतनी परेशान क्यों है ,मुझे बता तेरी परेशानी का क्या कारण.... मैं शायद कुछ मदद कर सकूं तो बता।। रुपा- क्या करुं यार !!ससुराल वाले कहते हैं! बहू घर में आकर रहो! मैं ससुराल कैसे जा सकती हूं ,यहां मायके में पापा ,भाई-बहन (दोनों विकलांग )हैं ,,पापा की भी कुछ खास कमाई नहीं होती है , यहाँ पर सब कुछ छोड़कर ससुराल कैसे रह सकती हूं !!आज मैं आत्मनिर्भर हो गई हूं ,स्कूल में अध्यापिका हो गई हूं ....अब सब कुछ छोड़कर के कैसे जा सकती हूं.....
बस इतनी सी बात पर ..... इतना परेशान ,,जब स्कूल मे छुट्टी मिल जाए तो तू कुछ हफ्ते के लिए या जैसा भी संभव हो चली जाया करो और यहां जो पड़ोस में तेरी दीदी रहती है ....ना ""वह देख लेगी ""तू हिम्मत मत हार.... तूने इतने सालों तक अपने पापा, भाई बहन सबको देखा है ,सबका ख्याल रखा है.... तेरे चेहरे पर मायूसी अच्छी नहीं लगती तू हमेशा
खुश रहा कर।।।
ससुराल और मायका दोनों हमारा अपना घर होता है ।हमे दोनों में समन्वय बनाकर रहना चाहिए, ""दोनों एक साइकिल के दो पहिए जैसे होते हैं ""दोनो में सही समंवय नहीं रहा तो .... जिंदगी की साइकिल सही तरह से नहीं चल सकती.....
ससुराल व मायका दोनों की खुशी में ही हमारी खुशियों हैं,,, एक भी अगर नाखुश तुम खुश नहीं रह सकते...
""दोनों में समन्वय बनाना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए""
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thanks sonia ji
Please Login or Create a free account to comment.