क्यों बचपन में ही रंगभेद....
हीनता का घोल दिया जाता है.....
तू काली है ,, सांवली ,सलोनी, बिटिया रानी...
तुझे कदम -कदम पर देना होगा जवाब ...
तुझे अपनी प्रतिभा खुद ही निखारने होगी .....
क्योंकि कौन करेगा,, तुझे स्वीकार......
चाहत सभी की होती है,, सुंदर बनने की ....
चाहे वह लड़का हो या लड़की ...
फिर भी अधिक दबाओ ,,बेटियों पर ही क्यों आए ...
चाहे हो सांवली व काली ....
खुद को उसी रुप में स्वीकार करो..
खुद अपने व्यक्तित्व पर बेवजह ना तिरस्कार करो.....
रंगभेद के चक्कर से ,,अब हैं ऊंचा उठना....
क्या गोरा है .....क्या है काला ......
इस मतभेद मे ना पड़ना......
सभी व्यक्तियों में कुछ तो हुनर होगा ...
देखो और बढा़वा दो .....
जैसे जैसे ,, उम्र है बढ़ती जाती......
वैसे वैसे ,,हुनर भी निखरता जाए....
यह काला ,,,गोरा ....मात्र है छलावा....
यह रंग रूप है ,,,बस कुछ पल की काया....
दिन प्रतिदिन है इसको ढलते जाना....
फिर क्या रखा है ,,इस रंगभेद में.....
ये भी दुनिया को है बतलाना....
@नेहादीप💐💐
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
nice
Thanks babita ji💐💐
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