शौर्य पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद ने भी बहुत होशियार हैं वह नई कक्षा में जाने पर उसकी दोस्ती कई बच्चों के साथ हो जाती है उसमें से कई बच्चे अच्छे होते हैं और कुछ शरारती भी होते हैं ।उसे नई-नई पैन खरीदने का भी बहुत शौक है वह रोज नई-नई पैन स्कूल लेकर जाता था। एक बार उसकी पेन एक बच्चे ने चुरा ली और उसने भी एक पेन दूसरे बच्चों की ले ली। ऐसे ही पेनो का लेनदेन चलता रहता है और कई बच्चे उसे पेन देती है ऐसे ही सिलसिला चलता रहता है मां की बार बार पूछने पर नई पेन कहां से लेकर आते हो तू और बोलता है कि मुझे बच्चों ने उपहार में दिया है ऐसे ही यह सिलसिला चलता रहता है कुछ दिन बाद कक्षा अध्यापिका को भी इस बात का पता चलता है वह कक्षा में पूछताछ करती है तो कहीं बच्चों का नाम पता चलता है उनमें शौर्य का भी नाम आता है कक्षा अध्यापिका सभी बच्चों को अच्छे से समझाती है कि चोरी करना बुरी बात है सभी बच्चे चोरी करना छोड़ देते हैं वह भी उन बच्चों का साथ छोड़ दिया और पढ़ाई में लग गया और कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
उस दिन के बाद से शौर्य ने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरु कर दिया उसने सोचा कि उससे एक गलती हो चुकी है और उसमें बहुत जल्दी सुधार कर लिया था अब शौर्य ने उन बच्चों का साथ छोड़ दिया और कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
यह कहानी प्रत्येक माता-पिता के लिए एक सीख है कि हमें अपने बच्चों का अपने बच्चों की संगति पर ध्यान अवश्य देना चाहिए कि हमारे बच्चों की दोस्त कौन है उनकी दोस्ती किस बच्चों से है वह क्या करते हैं।
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