जीवन कितना अनमोल है प्यारे,
ये जनमानष को बतलाती,
अपने उत्तदायित्व को ईमानदारी से निभाती,
लालसा ना करती अधिक कमाने की,
अपनी मरीजों के दर्द और तकलीफों को संजीदगी से सुनती
पहले मरीज की जांच मैं करती,
फिर उनका अच्छा उपचार भी मैं करती,
लंबी पर्ची की बजाए ,सही दवाई देती...देती कम दवाई और ख़याल ज्यादा रखने की भी सलाह मैं देती
मरीजो के दर्द को दूर करने की मैं सही दवाई देती..
महामारी के समय उम्मीदों की किरण मैं बन जाती उम्मीदों को आशा के पंख मैं देती जाती...
सादगी ,प्रसन्नता और हौसले से
मरीजों में नयी उमंग भर्ती
बन जाती एक मिशाल और प्रेरणा स्रोत
सब डॉक्टर के लिए ,मैं असली योद्धा कहलाती...
केमिस्ट और जांच केंद्र से कमीशन कभी न लेती ,जिससे दवाइयों के दामों में भी कटौती होती जाती,
सभी गरीबों का मुफ्त इलाज करती
छुट्टियां कम से कम व परामर्श शुल्क निशुल्क भी मैं करती
फुर्सत के कुछ पल में गांव देश को जाती
अंध विश्वास को भी मैं दूर भगाती
रोते हुए चेहरे पर मुस्कान हूं मैं भर्ती
और मैं असली योद्धा भी कहलाती.....
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