पापा ,मैं तो आपकी ही प्रतिबिंब हो गई,
आप मेरे आंखों की चमक,
आप सर्दियों की धूप हो,
पापा मैं तो आपकी ही प्रतिबिंब हो गई,
आपके पैरों को झूला बनाकर खेलती,
आपके हाथों में सिर रखकर,
सपनों को चूमती।
आपके हाथों के कौरे याद आते हैं,
खुशी हो या हो गम आप याद आते है।
लोग कहते हैं तू तो बड़ी हो गई ,
पर आपके लिए तो मैं छोटी ही रह गई,
पापा ,मैं तो आपकी ही प्रतिबिंब हो गई ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very true
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