कभी तस्वीर तेरी देख
मैं मुस्कुराता हूं ।
मंद मंद ..
मैं मुस्कुराता हूं।
मैं आंसु हूं ,
आंख बन्द करके आता हुं ।
जब आता हुं
पोंछ दिया जाता हुं ।
मैं रोते रोते भीग जाता हुं
तक़दीर अपनी देख ,
मैं मुस्कुराता हुं ।
मंद मंद..
मैं मुस्कुराता हुं ।
अच्छा भी जानता हुं ,
बुरा भी जान जाता हुं ।
सब जान के अनजान बन जाता हुं
मैं मुस्कुराता हुं ,
लकीर अपनी देख ।
मंद मंद ..
मैं मुस्कुराता हुं ।
कभी चौंक जाता हुं
यानी रातों को "उठ " जाता हुं ।
" चिंता का विषय " हुं मैं एक ,
कभी इन्सान तो कभी जानवर बन जाता हुं ।
समाज देखूं अगर तो सहम जाता हुं ।
खुद को देखूं तो समझ.. जाता हुं ।
बाहर कुछ भी नहीं
अच्छा बुरा...सब अंदर है ,
सोच बेचारी अपनी देख
मैं मुस्कुराता हुं ।
मंद मंद ..
मैं मुस्कुराता हुं ।
कई बातें दरकिनार करता हुं ।
कई रातें बेकार करता हुं ।
मेरी चुप्पी का हिसाब नहीं है मेरे पास ,
तो कभी बातें भी बेहिसाब करता हुं ।
इशारा कर कोई तो समझ जाता हूं ।
हर किसी को नहीं समझ पाता हूं ।
दुनिया के लिए वक्त बहुत है मेरे पास ,
खुद के लिए एक पल में सिमट जाता हुं ।
परेशानी अपनी देख ,
मैं मुस्कुराता हुं
मंद मंद ..
मैं मुस्कुराता हुं ।
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