बारिश तेज हो चुकी थी। ऑटो से उतरते ही वृंदा ने अपनी छतरी खोल ली। तेज कदमों से घर की ओर जाते हुए उसने देखा ,कि मंदिर की सीढ़ियों के पास एक महिला अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर बैठी है ।वृंदा को देखते ही उसने अपना हाथ वृंदा की ओर बढ़ाया। वृंदा ने पर्स से 10 का नोट निकालकर महिला को देना चाहा पर वह शायद कुछ और ही चाहती थी, हां शायद वृंदा की सतरंगी छतरी वृंदा ने मुस्कुराकर छतरी उसकी ओर बढ़ा दी । महिला ने लपक कर छतरी ले ली वृंदा के चेहरे का सुकून उसके चेहरे की चमक को और बढ़ा रहा था।
सतरंगी छतरी ☔
कभी- कभी किसी की मदद करने से जो आत्म संतुष्टि मिलती है उसे बयान करना मुश्किल है
Originally published in hi
Namrata Pandey
27 Jul, 2020 | 0 mins read
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thanks 🌹
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