बरसात संग मैं भी रोई

शादी के बाद ससुराल में पहली बारिश और पति परदेश में ऐसे में नवविवाहिता का हाल

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 22 Jul, 2020 | 1 min read

आज रात भर

बरसे बदरा

प्यासी धरती भिगोयी

सावन की जो लगी झड़ी

फिर मेरी अखियां रोईं

तुम बिन कैसे अच्छी लागे

सावन की यह बारिश

परदेस में तुम सोए हो

मैं रात भर जागी

वर्षा जी को भाती थी

जब मैं थी बाबुल के अंगना

पिया के घर में सूनी लागे

भीगी भीगी रैना

सखियां सब करें ठिठोली

अंबुवा तरे बतियावें

अपने-अपने सजना के वो

किस्से खूब सुनावें

तुम तो बसे परदेस में

और हो गए हो परदेसी

मैं ही बिरहन बनी फिरूं

तुम बने ना मेरे जोगी

सास और ननदी समझ ना पावे

मेरे दिल की बात

कहें दुल्हनिया सज कर बैठो

कैसे बतलाऊं हाल

तुम बिन ना भाए यह चूड़ी

ना भाए ये कंगना

और महावर भी ना भावे

ना भावे घर अंगना

आ जाओ अब अर्जी देकर

या सावन से कह दो

मेरे बिन न बरसो ऐसे

हम आए तब बरसो.

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