ऐसा क्यों

हमारे ही घर में हमारी अहमियत क्यों नहीं

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 07 Aug, 2020 | 1 min read

 मन नहीं मन में 

कितना कुछ बुनती हूं

 पर मन की बातों को

 कहने से डरती हूं 

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं 

घर के अहम फैसलों को मैं 

सबके मुंह से सुनती हूं 

पर अपनी राय देने से

 हरदम बचती हूं 

हां , मैं अक्सर चुप रहती हूं 

गलती ना होने पर भी मैं

 मैं ही अक्सर झुकती हूं

अपनी नाराजगी को

 जाहिर करने से बचती हूं

 हां मैं अक्सर चुप रहती हूं 

सब को खुश रखने की खातिर

 अपनी ख्वाहिशें भी 

ताक पर रखती हूँ 

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं

सबका दिल रखती हूँ पर

 अपने दिल की बातें

 कागज पर लिख दिया करती हूँ

क्योंकि मैं अक्सर चुप रहती हूं.

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