अक्सर

एक औरत प्रेम स्नेह और मान सम्मान से अपने परिवार को पूर्ण रखती है परंतु उसके जीवन में इन चीजों की कहीं ना कहीं रिक्तता ही रहती है

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 15 Feb, 2021 | 1 min read

मन ही मन में

कितना कुछ बुनती हूं

पर मन की बातों को

कहने से डरती हूं

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं

घर के अहम फैसलों को मैं

सबके मुंह से सुनती हूं

पर अपनी राय देने से

हरदम बचती हूं

हां , मैं अक्सर चुप रहती हूं

गलती ना होने पर भी मैं

मैं ही अक्सर झुकती हूं

अपनी नाराजगी को

जाहिर करने से बचती हूं

हां मैं अक्सर चुप रहती हूं

सब को खुश रखने की खातिर

अपनी ख्वाहिशें भी

ताक पर रखती हूँ

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं

सबका दिल रखती हूँ पर

अपने दिल की बातें

कागज पर लिख दिया करती हूँ

क्योंकि मैं अक्सर चुप रहती हूं.

 

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Namrata Pandey

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