क्षितिज

रिश्ते अनमोल है....इन्हें सहेजिये

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 26 Feb, 2021 | 0 mins read

आकाश भी

झुक जाता है क्षितिज पर

धरती से मिल जाता है

एक मुकाम पर आकर

हर फासला मिट जाता है

पर इस फासले को

मिटाने के लिए

धरती को भी

थोड़ा सा फासला

तय करना पड़ता है

आकाश जितना नीचे झुकता है

धरती को ऊपर उठना पड़ता है

रिश्तों को सहेजने का

क्या खूब तरीका है

जीवन उसका संवर उठेगा

जिसने भी इसे सीखा है

कोशिश हमारी भी यही हो

कि जो झुक रहा है

उसे इतना नीचे न गिराये

जब उसने कदम बढ़ाया है तो

एक कदम हम भी बढाये

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Namrata Pandey

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