जिंदगी की हकीकत

जिंदगी आसान है हम उसे कठिन बना देते हैं

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 15 Feb, 2021 | 1 min read

मौत करीब थी

फिर भी दूर लग रही थी

जिंदगी धीरे धीरे

हाथ से फिसल रही थी


जिंदगी की हकीकत

हम समझ ही न पाए

डूब गए इतना

कि उबर ही ना पाए


दूजों को खोजने में

मशरूफ इस कदर थे

खुद को खो बैठे

और ढूंढ ही ना पाए


मेरे और तेरे में

उलझी जो ये कहानी

अपनेपन के धागे

सुलझ ही ना पाए


किससे करें शिकायत

अब कौन देगा राहत

मशरूफ इस कदर थे

कि दोस्त न बनाये|

नम्रता पान्डेय

 

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Namrata Pandey

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