मेरी धरोहर

जिंदगी में हम चाहे जितना भी आगे बढ़ जाए पर पुरानी चीजो को कभी नहीं भूल पाते

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 09 Sep, 2020 | 1 min read
#ourcountry #thepoetryblast

यूँ ही चलते चलते नयी राह पर हम

न, जाने कहां से कहां आ गए हैं........

है ये दौड़ कैसी, ये चाहत है किसकी,

वो साथी पुराने कहां छोड़ आये।

अबूझे से चेहरे,अजब सी निगाहें

किसी का , किसी से भी रिश्ता नही......

दे आवाज किसको किसे हम पुकारे ,

किसी को कोई जानता ही नही।

खिलखिलाए हुए एक अरसा हुआ है,

कई रोज से मुस्कुराए नहीं.....

रस्ता बता दो मुझे वापसी का ,

इस दिल को होगी अब राहत वहीं।

वो छोटा सा घर हो,वो ममता का आंचल,

वो यारों की टोली भी होगी कहीं.....

लौटा दो मुझको ये मेरी धरोहर,

बस दूसरी कोई चाहत नही।

नम्रता पांडेय



     


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