Namita Gupta
Namita Gupta 27 May, 2024
किसी बड़ी हानि का अंदेशा है
जब-जब काग़ज़ पर कविता लिखी , पेड़ों का दर्द समझ आया , इसलिए डायरी से थोड़ी दूरी बनाने लगी !! अब मोबाइल पर टाइपिंग करते हुए परिंदों के लहूलुहान टूटे पंख एक-एक कर आ गिरते हैं मेरी हथेलियों पर !! सुनो हमारी सब की सब कविताएं श्रापित हो चुकी हैं , अब किसी बड़ी हानि का अंदेशा है ये , बेहतर होगा कि अपने-अपने चुप में गढ़ते रहें हम मनचाही कविताएं , और,, व्यस्तताओं से बोझिल मन को सौंप दें कुछ नये बीज प्रेम के !! निश्चित रूप से इसी तरह बचा सकेंगे हम वृक्षों और परिंदों को भी,,सुन रहे हो न !!

Paperwiff

by namitagupta

27 May, 2024

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