Namita Gupta
13 Jul, 2024
वो ( कवि ) बहुत आम है, पर....
आज "शोर" बहुत है दुनिया की भीड़ में
वो तेरे-मेरे मन का मौन लिखा करता है !!
अक्सर, देह को ही प्रेम समझते हैं लोग
वो रुहानी रिश्तों की डोर लिखा करता है !!
जो गुज़र जाते हैं मौसम बिना कुछ कहे
उस अनकहे का पोर-पोर लिखा करता है !!
फ़ेहरिस्त बहुत बड़ी है इस ज़हां की मगर
इसमें ही कहीं खुद के राज़ लिखा करता है !!
सुनों, न कहना तुम उसे कवि या शायर..
वो बहुत आम है, पर ख़ास लिखा करता है !!
Paperwiff
by namitagupta
13 Jul, 2024
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