Namita Gupta
23 Jul, 2024
आकाशीय विस्तृतपन
अब तक की सभी सभ्यताओं के
तमाम दुःखों का साक्षी
ये वृहद आकाश,,
क्या कभी खीझता नहीं होगा
अपने मूक होने की विवशता पर ??
कभी-कभी
विस्तृत होना किसी अभिशाप से कम नहीं होता,
जब हमारे अपनें
हाथ उठाए
हमसे उम्मीद लगाए हुए हों,,है न !!
Paperwiff
by namitagupta
23 Jul, 2024
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