Namita Gupta
30 Jul, 2024
दूरियों-नजदीकियों का भूगोल
माना, हज़ारों कोशिशों में भी
नहीं पाट सकते वो तमाम रिक्तियां
जो महसूस की हैं हमने
ध्रुवों के दो अलग-अलग छोर पर खड़े होकर,,
लेकिन जब भी स्मरण करती हूं
तुम्हारी कोई भी बात..कोई भी ख्याल..
या फिर,,कोई सा भी चुप ,
यकायक बंधते चले जाते हैं
अनगिनत पुल
अनंत संभावनाओं के ,
द्रष्टित होनें लगते हैं एक साथ
कई-कई क्षितिज अपने मिलन के ,
और तब,,नजदीकियों सिमट आता है
वो दूरियों का भूगोल भी,,है न !!
Paperwiff
by namitagupta
30 Jul, 2024
#दूरियां
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