Namita Gupta
Namita Gupta 22 May, 2024
वह आदमी
वह आदमी जब कभी..वह आदमी बनना चाहता है थोड़ा सा इंसान , विरोध के स्वर हो जातें हैं और भी प्रखर !! जब कभी..वह आदमी चाहता है बस थोड़ा सा प्रेम समय की दीवारें रचती हैं साजिशें !! जब कभी..वह आदमी चाहता है थोड़ा सा एकांत , शोर गूंजने लगता है अंतस में उसके !! जब कभी..वह आदमी लिखना चाहता है कविता स्वयं के लिए , अनपढ़ सी हो जाती हैं..सारी इच्छाएं !! और..जब कभी..वह आदमी बनता है मसीहा वह चुपचाप ही परिवर्तित हो जाता है ईश्वर में !!

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by namitagupta

22 May, 2024

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