हम जिस किराए के मकान मे रहने आए थे वो "गुप्ता जी" का था। लगभग साठ के उम्र थे गुप्ता जी। घर में वो और उनकी पत्नी रमा जी रहती थीं। मैं अनु, मेरे पति अनिकेत और मेरे दो बच्चे अपूर्व और परी।
"सुबह अपूर्व के स्कूल और अनिकेत के ऑफिस जाने के बाद मैं अक्सर रमा जी के पास बैठ जाती थी।" बहुत अपनापन सा लगता था उनके साथ। परी भी उनसे घुल-मिल गई थी। हमारे आने से बहुत खुश थी।
एक..... दिन मैं उनसे मिलने नहीं गयी वो खुद आ गईं मिलने, उनको देखते ही परी दादी-दादी कहते गोद में चली गई। और फिर वो मुझसे पूछने लगीं? आज आई नहीं मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी। वो अभी एक घण्टे में हमे अनाथाश्रम जाना है उसी की तैयारी कर रही थी। अनाथाश्रम.....? हाँ "आज के दिन ही अनिकेत अपना जन्मदिन मनाते हैं" जब अनिकेत तीन साल के थे वो अपने माँ-बाप से बिछड़ गए थे, आज के दिन ही अनाथाश्रम आए थे। तब से अनिकेत अपना जन्मदिन आज के दिन मनाते हैं। अरे आप को क्या हुआ क्यों इतनी उदास हो गईं।
"मुझे अपने बेटे की याद आ गई।" आपका बेटा.....? हाँ वो....... मेरा भी तीन साल का बेटा था,एक बार हम ट्रेन में सफर कर रह थे, "कब हम सो गए पता ही नहीं चला" जब नींद खुली तो बेटा नहीं था मेरे पास, बहुत ढूंढा लेकिन नहीं मिला मेरा बेटा कहते-कहते रो पड़ीं, फिर रोते-जाने लगीं। मैंने रोका पर नहीं रुकीं। पीछे-पीछे मैं भी गई तो देखा .....रमा जी एक पुराने बॉक्स को खोल रही थीं। उसमें ढेर सारे खिलौने-कपड़े और एक बच्चे की तस्वीर थी, उसे देखकर रोए जा रही थी।
मैंने देखा तस्वीर को अरे........ "ये तो अनिकेत की बचपन की फोटो है" मतलब अनिकेत ही आपके खोए हुुए बेेेेटे हैं। क्या....? पीछेे से अनिकेत की आवाज़ आई आप ........मेरी माँ हैं? हाँ बेेटा मैं ही तुम्हारी माँ हूँ बचपन में आज के दिन ही खो गया था। बहुत ढूंढा तुम्हें पर कही नहीं मिले तुम," मुझे भगवान पर पूरा भरोसा था कि एक दिन मुझे मेरे बेटे से जरूर मिलाएंगे"।आज भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली मुझे मेरे बेटे से मिला दिया कहतेे-कहते गले लगा लिया। आज तीस साल बाद माँ-बेटे फिर से मिल गए।
धन्यवाद ।
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