MUKESH BISSA
MUKESH BISSA 30 Sep, 2025
रावण कहाँ है
रावण कहाँ है? दशहरे पर जलाते हो जिसे, वो पुतला कागज़ का है, सोने की लंका तो जल गई, पर रावण आज कहाँ है? भीड़ में खड़े होकर तुम, तालियाँ बजाते हो, क्या अपने अंदर के रावण को, तुम पहचान पाते हो? रावण नहीं मरा था तब, उसकी बस देह मरी थी, उसकी बुराई, उसकी अहंकार, आज भी हर जगह खड़ी थी। वो तो एक ही सीता हर पाया, वो मर्यादा जानता था, पर आज तो हर गली में कई 'रावण' घूमते हैं, नारी सम्मान की बात करते हैं, पर नियत में छल छुपाये घूमते हैं। वह ज्ञानी था, पंडित था, फिर भी मोह में अड़ गया, आज तो अज्ञान में लिपटे, कितने भ्रष्ट यहाँ खड़े हैं। न्याय की चौखट पर, ईमान की धज्जियाँ उड़ती हैं, झूठ के बाज़ार में, सच्चाई सिसकती-मरती है। किस-किस रावण को तुम अब जलाने निकलोगे? जब हर मन में उसके अंश, पलते-बढ़ते दिखेंगे। पुतला जलाने से पहले, तुम ख़ुद को टटोलना ज़रा, कहाँ छिपा बैठा है वो, तुम्हारे अंदर का रावण डरा?

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by mukeshbissa

30 Sep, 2025

कविता

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