अपराजिता दौड़ दौड़ के घर के काम निपटा रही थी क्योंकि उसे किटी में जाना था साथ ही साथ झुंझलाहट में बड़बड़ भी करती जा रही थी कि "जिसको देखो उसको हर काम समय पर चाहिए बैठे पानी पिलाना पड़ता है सबको... किसी को मेरी फिक्र नहीं... 2 घंटे अपने लिए भी निकालने हो तो मर खप के घर से निकलो , किसी को क्या दोष दूं यहां तो पति भी मेरा ख्याल नहीं रखते सब के सब स्वार्थी हैं "
आहह मर गई ....! चिल्लाते हुए अपराजिता अपने पांव को पकड़े पकड़े जमीन पर गिर गई । उसकी चीख सुनते ही राहुल उसका पति दौड़ा दौड़ा आया और बोला "अरे यह क्या हुआ तुम गिर कैसी गई...?
मगर दर्द के मारे अपराजिता के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। राहुल जल्दी से उसे कार में बैठा कर डॉक्टर के पास ले गए। दर्द से बेहाल थी अपराजिता क्योंकि डॉक्टर ने बताया पैर में फ्रैक्चर हुआं है उसके । पैर में प्लास्टर चढ़वा के राहुल उसे घर लेकर आए और आहिस्ता से उसको बेड पर बैठाया। रोने लगी अपराजिता अब घर को कौन देखेगा मेरे बिना तो यहां एक पत्ता भी नहीं डुलता कौन देखभाल करेगा पूरे परिवार की।
राहुल ने उसको ढांढस बंधाया और बोला चिंता मत करो मैं हूं ना । आज अपराजिता राहुल का एक नया ही रूप देख रही थी । वो राहुल जो हर समय उस पर ही निर्भर रहता था आज बखूबी सारे काम निपटा रहा था साथ ही साथ अपराजिता का भी वह ध्यान रख रहा था। 3 दिन हो गए थे अपराजिता के प्लास्टर को चढ़े राहुल साए की तरह उसके साथ रहा । अपराजिता को चलना फिरना मना था इसलिए आज राहुल उसके लिए व्हील चेयर लेकर आया और उससे बोला चलो तुम्हें तुम्हारा मनपसंद चाइनीज़ खिला कर लाता हूं और यह कहकर उसने अपराजिता को आहिस्ते से व्हील चेयर पर बिठा कर गाड़ी तक ले गया और फिर वहां से होटल। अपराजिता अपने जीवनसाथी के इस प्यार और देखभाल को देखकर खुद को बहुत खुशकिस्मत समझने लगी ।
राहुल के गले लग कर बोली माफ करना राहुल मैं कितना गुस्सा आप पर निकालती थी मुझे पता ही नहीं था कि आप हीरे की तरह हो। आपको जीवन साथी के रूप में पाकर मै धन्य हो गई
राहुल ने भी मुस्कुरा कर कहा जीवनसाथी हम दीया और बाती हम , एक दूसरे के पूरक हम एक दूसरे के बिन अधूरे हम ।
©️®️ मोनिका खन्ना
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