जीवन के नये सपनो और हौसलो से भरा हुआ रोहन अपने भविष्य को उज्जवल बनाने और माता पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अपने शहर से दूर एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले कर इंजीनियरिंग करने आया था । जब घर से निकला तो माता-पिता ने विश्वास और प्यार देते हुए उसको बोला "बेटा जिंदगी में आगे बढ़ो अपने सपनों को पूरा करो जो मेहनत तुम अभी कर लोगे उसका फल हमेशा ही अच्छा पाओगे। अपनी शिक्षा और भविष्य के प्रति हमेशा ईमानदार रहना , गलत संगत से बच के रहना । हम हर समय तुम्हारे साथ नहीं होंगे कि तुम्हारा अच्छा बुरा तुमको समझा सके इसलिए उस पराये शहर और नये लोगों के बीच सब कुछ तुमको खुद ही समझना और सम्हालना होगा। जीवन में अच्छे बुरे को पहचानने का समय आ गया है, तुम युवावस्था में कदम रख चुके हो, तरह तरह के लोग मिलेंगे तुम्हें तुम्हारी इस नई दुनिया में, कई तरीके के प्रलोभन मिलेंगे तुम्हें तुम्हारे रास्ते से भटकाने के लिए , मगर तुम अपने दिल की ही सुनना और अपने सपनों की राह पर अडिग रहना। तुम हमे निराश नहीं करोगे इस बात का हमें तुम पर पूरा विश्वास है" .... सोच कर तो रोहन भी यही आया था कि माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। मगर मन का सोचा हर समय तो नहीं होता और वही रोहन के साथ भी हुआ । हॉस्टल में उसके रूम मेट विशाल से उसकी अच्छी दोस्ती हो गई। विशाल दिखने में तो एक अमीर घराने का लगता था क्योंकि उसके पास पैसों की कभी भी कमी नहीं रहती थी। रोहन को उसका साथ अच्छा लगता था क्योंकि विशाल हर समय रोहन का ध्यान रखता था ।
1 दिन विशाल रोहन को लेकर अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने गया। बहुत मजे की पार्टी थी चारों तरफ खुला उन्मुक्त वातावरण, लड़के - लड़कियां नाच- गाना, पीना - पिलाना। रोहन के लिए यह माहौल नया था । विशाल ने सबसे उसका परिचय अपनी बेस्ट फ्रेंड के रुप में कराया जिसे सुनकर रोहन बहुत खुश हुआ। विशाल ने रोहन को सिगरेट ऑफर करी । पहले तो रोहन हिचकिचाया पर दोस्तों और विशाल के जबरदस्ती करने पर उसने अपने जीवन में पहली बार सिगरेट पी। ना चाहते हुए भी रोहन विशाल की इस दुनिया में शामिल हो गया जहां उसको नहीं होना चाहिए था। धीरे-धीरे रोज-रोज की पार्टीयों और उन्मुक्त वातावरण से प्रभावित रोहन को नशे की लत लगती चली गई । जब भी मां पापा का फोन आता वह कोई ना कोई बहाना बना देता । अगर मां पापा पढ़ाई के लिए पूछते तो वह बोल देता हां सब कुछ सही चल रहा है ।
पर सही कुछ भी नहीं हो रहा था । रोहन पढ़ाई से दूर और नशे के गिरफ्त में कैद होता ही चला गया। विशाल ने उसे न सिर्फ सिगरेट बल्कि हर तरह के नशे का आदी बना दिया था ।
नतीजा यह हुआ की वो रोहन जो अपने उज्जवल भविष्य को ज बनाने , अपने सपनों को सच करने और माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने आया था, आज अपने जिंदगी के लक्ष्य को भूल चुका था उसे याद था तो बस नशा और नशे की रंगीन दुनिया ।
विशाल रोहन की सारी पॉकेट मनी हड़प लेता था उसको नशा कराने के बदले ।अब तो कई बार रोहन अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए झूठ बोलकर भी माँ पापा से पैसे लेने लगा था ।
जब सेमेस्टर का रिजल्ट आया और रोहन फेल हो गया तब उसके माता-पिता को इस बात पर विश्वास ही ना हुआ । फेल होने का कारण जानने के लिए वो दोनों रोहन से मिलने आए। मगर रोहन को देखते ही वह सदमे में आ गए ।उनका प्यारा सा रोहन चंद महीनों में ही एक हड्डी के ढांचे में तब्दील हो चुका था, जैसे जिंदा रहने के लिए पानी चाहिए होता है वैसे ही रोहन को नशा चाहिए होता था । मां पापा से उसकी हालत देखी ना गई वह फूट-फूटकर रो पड़े अपने कलेजे के टुकड़े को इस हालत में देखकर और आखिरकार कॉलेज छुड़वा कर वह दोनों रोहन को घर वापस ले गए क्योंकि कॉलेज वालों ने भी उसकी हालत कॉलेज में उसकी परफॉर्मेंस , और कम अटेंडेंस को देखकर कॉलेज में रखने से मना कर दिया ।
घर वापस लाकर मां पापा ने उसको बहुत संभालने की कोशिश करी मगर असफल रहे क्योंकि बिना नशे के रोहन को दौरे पड़ने लग गए थे, वो पागलपन की हरकतें करने लग गया था। जब रोहन को संभालना मुश्किल हो गया तो सब के समझाने पर एक आखिरी कोशिश करके अपने बच्चे को बचाने के लिए आखिरकार रोहन को रेहैब सेंटर में भर्ती करवाया ।
आज रोहन अपनी जिंदगी को फिर से पाने की कोशिश में रेहैब सेंटर में अपना इलाज करवा रहा है । रोहन के माता-पिता भी अपनी सारी हिम्मत जुटाकर अपने टिमटिमाते दीपक को जगमगानेे की पूरी कोशिश कर रहे हैं। विशाल जैसे धोखेबाज दोस्त ने दोस्ती के नाम पर उसके उज्जवल भविष्य की हत्या करके उसको ऐसी राह पर छोड़ दिया जहां रोहन के साथ साथ उसके मां-बाप के सपनों की भी हत्या हो गई । एक जगमगाते जीवन को नशे से भरे अंधकार मे धकेल दिया गया ।
दोस्तों ऐसे कई किस्से आजकल देखने को मिल जाते हैं। मां-बाप के बहुत समझाने के बावजूद युवा बच्चे ऐसी गलत संगत के गिरफ्त में आ जाते हैं । जरूरत है उन्हें सही मार्गदर्शन देने की जो कि हर मां बाप देते भी है । पर बच्चे अपनी बहुत सी बातें मां बाप से शेयर नहीं करते हैं। कोशिश करिए कि उनकी रोज की दिनचर्या में किसी ना किसी तरह आप शामिल हो। उनको आजादी तो दिजिए मगर उनके क्रियाकलापों पर नजर भी रखिए ।पूरे दिन में एक बार अपने बच्चे से बात जरूर करें, क्योंकि वह खुद को कितना भी बड़ा समझ ले लेकिन है तो बच्चे ही उनकी समझ उम्र के साथ ही परिपक्व होगी। आप मां-बाप कम बल्कि दोस्त की तरह ज्यादा व्यवहार करें जिससे बच्चे अपने मन की बात आपसे कह सकें और आप उन्हें सही राह दिखा सकें।
©️®️ मोनिका खन्ना
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