कुछ एहसास मेरे दिल के -
"मैं शब्दों को नहीं लिखती ,अपने एहसासों को बुनती हूं ।
बिछौना बनाकर उनसे , हर रोज लिपटती हूं ।
जाते हुए लम्हों के , हर पल को संजोती हूं ।
बंद आंखों से जो देखे थे ,उन ख्वाबों को जीती हूं ।
चुपचप सी हवाओं में बहते , संगीत को सुनती हूं ।
मद्धम सी सरगम में ,बिन घुंघरू थिरकती हूं ।
कुछ पल चुराकर सबसे ,खुद से मिला करती हूं ।
सतरंगी दुनिया के, हर रंगों से मिलती हूं।
दिल के कैनवस में, खुशियों भरे रंग भरती हूं।
मैं शब्दों को नहीं लिखती ,अपने एहसासों को बुनती हूं "
मोनिका खन्ना
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