प्रकृति की पुकार

Save Nature

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Moni Sharma
Moni Sharma 05 Jun, 2020 | 1 min read

प्रकृति हूं मैं मुझे बचाओ,

धूप,छांव,मिट्टी,नीर सब...

दिन भर दिन बंजर होती जा रही हूं,

जड़े मेरी मत काटे जाओ,

प्रकृति हूं मैं मुझे बचाओ......

हाथ से हाथ बढ़ाओ,कदम से कदम मिलाओ,

एक हाथ जब रूक जाए, तो दूसरा आगे लाओ,

विस्तार मेरा यूं ही करते जाओ,

प्रकृति हूं मैं मुझे बचाओ.......

कण-कण में होगा विस्तार मेरा, तभी होगा उद्धार तेरा,

संख्या से असंख्या हो जाऊं, तभी परिपूर्ण कहाऊ,

एक से अनेक पेड़ लगाते जाओ,

प्रकृति हूं मैं मुझे बचाओ.....

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धन्यवाद।

मोनी शर्मा





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Moni Sharma

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