Mirza Azam lucknavi
Mirza Azam lucknavi 09 May, 2022
मेरी मां आंचल
मेरी एक पूरी दुनिया सी बसी थी मेरी मां के आंचल में बचपन में जब मां के आंचल के नीचे छिपता था तो चांद सितारे सैयारे सब गर्दिश करते हुए दिखते थे.. मेरी मां के आंचल का रंग जैसे शाम होती हुई शहराओं में फैली हुई धूप हल्का सुर्ख लाल मेरी एक कायनात सी बसी थी उनके आंचल के नीचे अक्सर जब मैं डर जाया करता था तो पूरी दुनिया की सबसे महफूज़ जगह वही लगती थी कभी कभी वो खुद धूप में अपने सिर को जलाती थी पर मुझे अपने आंचल की छांव में रखती थी जब फिजाएं उसके आंचल से छन कर मेरे चेहरे पर पड़ती थी तो जैसे मानो एक जन्नत के रोशन दान जैसे हवा आती ऐसा महसूस होता था उस आंचल में कभी कभी संतरे वाली कैंडी भी बंधी होती थी जिसे पाकर मैं बोहोत खुश हो जाया करता था उस आंचल में मेरी पूरी दुनिया सी बसी थी......

Paperwiff

by mirzaazamlucknavi

09 May, 2022

मिर्ज़ा आज़म

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.