हे मेरे राम
आप मेरे बचपन की कहानियों में हो ,
धनुष, तीर ,वानरों सी नादानियों में हो ,
आप ही धर्म, आप ही पुरषोत्तम जग में,
मर्यादित छवि और रामलीलाओं में हो ।
हे मेरे राम
आपके गीतों से ही रंगा ये जीवन हमारा ,
ठुमक चलत रामचन्द्र गाता है मन हमारा ,
रामजी की निकली सवारी जोर से गाते हैं ,
राम जी की लीला करती दिल प्रसन्न हमारा ।
हे मेरे राम
देख आपका बनवास हम बहुत ही रोये थे ,
तड़पते देख राजा दशरथ को हम न सोये थे ,
वचन के मान हेतु आपने रघुकुल रीत निभाई ,
बनवास में आपने जाने कितने दुख ढोये थे ।
हे मेरे राम
आप तो करते कण-कण में वास ,
अपने भक्तों में बहते बनके स्वास ,
हम कुछ न कर सके अब तक भी ,
आपकी शक्ति बिन नहीं बन सकता है,
आपकी जन्मभूमि पर आपका निवास ,
अयोध्या नगरी जगमग हुई है इक बार ,
पूरा हो गया हो जैसे रामजी का बनवास ।
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