हे मेरे राम

हे मेरे राम, एक कविता राम जी के लिए जिनकी लीला को सुनकर और देखकर हम बड़े हुए हैं ।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 13 Aug, 2020 | 1 min read

हे मेरे राम

आप मेरे बचपन की कहानियों में हो ,

धनुष, तीर ,वानरों सी नादानियों में हो ,

आप ही धर्म, आप ही पुरषोत्तम जग में,

मर्यादित छवि और रामलीलाओं में हो ।


हे मेरे राम

आपके गीतों से ही रंगा ये जीवन हमारा ,

ठुमक चलत रामचन्द्र गाता है मन हमारा ,

रामजी की निकली सवारी जोर से गाते हैं ,

राम जी की लीला करती दिल प्रसन्न हमारा ।


हे मेरे राम

देख आपका बनवास हम बहुत ही रोये थे ,

तड़पते देख राजा दशरथ को हम न सोये थे ,

वचन के मान हेतु आपने रघुकुल रीत निभाई ,

बनवास में आपने जाने कितने दुख ढोये थे ।


हे मेरे राम

आप तो करते कण-कण में वास ,

अपने भक्तों में बहते बनके स्वास ,

हम कुछ न कर सके अब तक भी ,

आपकी शक्ति बिन नहीं बन सकता है,

आपकी जन्मभूमि पर आपका निवास ,

अयोध्या नगरी जगमग हुई है इक बार ,

पूरा हो गया हो जैसे रामजी का बनवास ।








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Sunita Pawar

meri_pankti-man_ke_vichar023h

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