वो पशु नहीं माँ थी

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 04 Jun, 2020 | 1 min read


वो प्रकृति को जन्म देने वाली थी

उसके अंदर कुछ साँसे जन्म ले रही थीं

वो अपनी भूख से परेशान नहीं थी

अपने भीतर पलते अंश में जान भरना चाहती थी,

वो पशु नहीं एक होने वाली माँ थी

उसके साथ ये घिनोना खेल कैसे खेला

मानवता जहन से तुम्हारी गयी कहाँ थी

सोचो उस बेजुबान ने ये दर्द कैसे झेला


वो अपनी मौत से नहीं घबराई होगी

उसने तो पूरी ताकत अपने अजन्मे 

शिशु को बचाने में लगाई होगी।

©Sunita Pawar

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Sunita Pawar

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