माँ की लोरी

माँ की लोरी -कविता

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 02 Jun, 2020 | 1 min read

माँ की लोरी कितनी मीठी कितनी प्यारी

मधुर मधुर वाणी में वो धुन न्यारी न्यारी

सुर जब बज उठते हैं वो नये निराले

जग उठती है परियों की दुनिया सारी

कोमल हाथों से सिर को सहलाती है

प्रेम स्वरों से करवाती तारों की सवारी

उसका आँचल पकड़ चैन से सो जाते हम

वो गुनगुना के हंसते हंसते मिटाती भूख हमारी

माँ तू यूँ ही गाती रहना ये मीठी लोरियां 

तेरे बोलों से ये जिद्दी निंदिया जाती है हारी







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