जे मैं डॉक्टर होंदी

अगर मैं डॉक्टर होती तो मैं इंसानों की ही नही अपितु पशु पक्षियों की भी दवा करती, काँगड़ी/हिमाचली भाषा में मेरी कविता जरूर पढ़ें।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 04 Jul, 2020 | 1 min read

जे मैं डॉक्टर होंदी , 

ते इक गल्ल ता पक्की होंदी,

मैं बमारे तो दिखे बगैर,

निंद्र भरी कदी वी न सोंदी ।

तिस नाल बई करी मैं ता,

तिसदियाँ सारी गल्लां सुणदी,

जे सै अपनी पीड़ा विचि रौंदा,

मैं हौंसले दी भी दवा दिन्दी ।

दिखी करी मरिजे दे माली हाल,

पैसेयाँ बगैर इलाज़ करी दिन्दी।

जे जरूरत न हो दवाई दी ता,

जबरदस्ती इंयां ही दवा न दिन्दी ।

जे मैं माणुयाँ दी डॉक्टर होंदी

ता भी मैं डंगरेयां जो दुखी न दिखदी,

पशु पक्षियां दे जख्मा च मलहम मलदी ।

मिंजो याद है आज भी सै ध्याड़ा, 

जालि आया था बड़ा ही गुस्सा ,

इक निक्की जेही चिड़िया दे पैरे च,

फँसेया था बडा बालां दा गुच्छा ।

बड़िया मुश्कला ते गुच्छा हटाया ,

मलहम लगाया, फिरी चिड़िया जो उड़ाया ।

जे मैं डॉक्टर होंदी ता ,

मरिजे जो जरूर समजांदी कि ,

रोग नठाने ताईं बड़ा जरूरी योग होंदा ।

परहेज़ करी लेयो, न करियो कोई नशा,

दवाईयां खाई करी शरीरे दा ही नुकसान होंदा ।

मैं दिन्दी सही सलाह,

डॉक्टर भी माणु होंदे ,

विश्वास तिना पर रखणा,

सै ता दूजे खुदा होंदे ।










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Sunita Pawar

meri_pankti-man_ke_vichar023h

Comments

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत खूब

  • Vineeta Dhiman · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very nice lines

  • Sunita Pawar · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत धन्यवाद संदीप भाई🙏

  • Sunita Pawar · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत धन्यवाद विनीता जी🙏

  • Sunita Pawar · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत धन्यवाद विनीता जी🙏

  • Dr. Pratik Prabhakar · 4 years ago last edited 4 years ago

    अति सुंदर, वैसे जंतुओं के डॉक्टर अलग होते हैं

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