लड़ी पेयो, भिड़ी पेयो

लड़कियों को अब रोटियां नहीं कराटे सीखने की जरूरत है ।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 11 Oct, 2020 | 0 mins read
Himachali Himachali poem

सुणी लेया मेरे ग्रायें दियाँ कुड़ियो

हुण नी डरना ,नी छडणा कुसी जो,

जिनी भी तेरा चादरू खिंचेया ना

तीसदा मुँह चंडेयाँ ने देणा सुजायो ।

ये तुम्हां द चादरू जियाँ ढकदा इज़्ज़त तुसां दी,

तियाँ चादरूये जो खींचने आले दा गला घोटी देयो,

तू ज़रा भी न शर्माओ, न घबराओ,

अपणी इज़्ज़त बचाने लई चंडी बणी जाओ ।

बत्ता च पेयो होंदे पत्थर बथेरे,

तू छेड़ने आले द मुंड भनी देयो ।

थलिया च होंदे सोठु बथेरे ,

तू सोठु चुकी छोरूआँ जो नढाई देयो ।


ए जेड़ी द्रातियाँ हेंन ना,

ए घा भडने दे कम्मे ही नी ओदीयाँ,

ये भडी सकदियाँ कुकर्मियाँ जो भी,

तू द्रातिया ते तिना जो भडी देयो ।


बस्तेयाँ च रखी लेया हुण चाकू छुरियाँ ,

छडा चा पैरीयाँ दा, न पहना चूड़ियाँ ,

बतेरियाँ पकाई लईय्यां रोटियाँ ,

हुण जुड़ो कराटे सीखदियाँ छोरियाँ ।


घट नी तुहाँ कुसी ते

हुण लड़ना सीखी लेया,

जिनी इक गाल वी कडी कुसी,

तुहाँ खींची कर दो चंडा देया ।

हुण तुहाँ डरा मत,

इंयां ही रुकने ए दुष्कर्म,

तुहाँ मदद मांगना छङी देयो,लड़ी पेयो, भिड़ी पेयो ।

धन्यवाद ।


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Sunita Pawar

meri_pankti-man_ke_vichar023h

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