सब कुछ छोड़ने से पहले एक बार गले मिल लेते ,
दिल में चुभते हुए दर्द को जोर जोर से बोल लेते,
अपने गमों पर, अपनी असफलता पर, अपने अकेलेपन पर ,
एक आखिरी बार खूब जी खोलकर ठहाके लगा लेते,
क्या कोई भी अपना न था यहाँ, किसी को तो आवाज़ देते,
पर ये जो हँसी थी न, इस हँसी को रोकने का हक़ किसी को न देते,
खुद को भी नहीं, कभी नहीं, हीरो थे हीरो की तरह तो जीते ।
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