प्रिय दोस्तों, आज मैं आपको हिमाचल एक ऐसे अद्भुत त्यौहार के बारे में बताने जा रही हूँ , जिसे सुनकर आप जरूर अचंभित हो जाएंगे।
पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कुछ अपनी मान्यताएं व धारणाएं होती हैं, वह उनपर विश्वास करते हैं और उनको उनके सुखद परिणाम भी मिलते हैं । यदि साइंस के नज़रिए से देखा जाए तो वह लोगों के विश्वास को अंधविश्वास करार दे देती है।
बात करते हैं 'चिड़नू संग्रात' की, आखिर ये कैसा त्योहार जो हिमाचल के लोग बड़े श्रद्धा से मनाते हैं ।
दोस्तो, मैं बताना चाहूंगी कि यह त्यौहार अपने जानवरों की अच्छी सेहत और उनकी रक्षा की कामना के लिए मनाया जाता है ।'चिड़नू' एक तरह का कीट होता है जो पशुयों के शरीर पर चिपक जाता है, जैसे इंसानों के सिर पर जूं चिपकती है। बरसात के दिनों में यह चिड़नू जानवरों को चिपक जाते हैं और उनका खून चूसने लगते हैं। यह अत्यधिक मात्रा में जानवर के शरीर पर चिपक जाते हैं और इनके खून चूसने की वजह से जानवर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है, उसको बीमारियां घेरने लगती हैं, इस कीट की वजह से जानवर के शरीर पर घाव होने लगते है और जिसकी वजह से संक्रमण बढ़ने लगता है, नतीजन जानवर की मौत हो जाती है ।
जानवरों के मालिक हर तरह की दवा और जड़ी-बूटियों द्वारा अपने जानवर को बचाने की कोशिश करते हैं और बहुत सेवा भी करते हैं ।
चिड़नू संग्रात में वह अपने जानवरों के शरीर से इन चिड़नूयों को निकाल कर एक आटे की लोई में गूंध कर अग्नि में स्वाह कर देते हैं, उनकी मानना है कि ऐसा करने से चिड़नू उनके जानवरों को नहीं चिपकते और ऐसा होता भी है । चिड़नू संग्रात के बाद यह चिड़नू कम होने लगते हैं और अंततः समाप्त हो जाते हैं । चिड़नू संग्रात वाले दिन लोग पकवान बनाते हैं, आपस में मिल बांट कर खाते हैं और अपने पशुओं को भी खिलाते हैं।
दोस्तो, जानवरों की लंबी और स्वस्थ उम्र के लिए मनाये जाने वाले त्योहार के बारे में जानकर आपके मन में क्या ख्याल आया रहे हैं, जरूर बताइएगा।
चिड़नू संग्रात की सभी हिमाचल वासियों बहुत बधाई ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशप्रद
एक नई जानकारी मिली 👏
धन्यवाद संदीप जी🙏
धन्यवाद प्रगति❤️
Thanks for sharing.
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