हम तुम #Valentine

यह कविता पति पत्नी की एक साथ गुज़ारी जिंदगी पर आधारित है।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 20 Feb, 2020 | 1 min read

शहर की कच्ची गली में

इक छोटा सा घर था मेरा

घर का वो मेहमान कमरा

जिसको जी भर सजाया था

दीवार संग लकड़ी की पलंग

गुलदान सजी टेबल लगाया था

चारों ओर अपनों की ही थी भीड़

जहाँ पहली बार मिले थे हम तुम

सबकी नजरों ने चुना था मुझको

पर तेरी हाँ से इक हुए थे हम तुम

बंधन में बंधने वाले थे फिर भी

जाने क्यूँ जग से डरते थे हम तुम

कभी ढाबे तो कभी बस अड्डे पर

सबसे छुप-छुप के मिलते थे हम तुम

मायके से ले विदा तुम संग चल दी

बने थे अब जीवन के साथी हम तुम

गूँजी किलकारियाँ..बढ़ी थी जिम्मेदारियाँ

इस दूरी में भी इक-दूजे संग थे हम तुम

चेहरा भी कुछ कुछ बदला और

कुछ कुछ बदलीं चाहें भी

कुछ कुछ सबकुछ बदल गया

पर कभी न बदले वो थे हम तुम

संग अब भी गाते, बतियाते हैं

कभी थोडा झगड़ भी जाते हैं

बढती उम्र से नही घबराते हम तुम

तुम हो प्रीतम मैं प्रियतमा

दोनों में बसती इक आत्मा

दुआ करूं इतनी ऐ परमात्मा

जाएँ इक दिन संग संग हम तुम

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By Sunita Pawar

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Sunita Pawar

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