रोज़ की तरह आज भी मम्मी का फोन आया और बोलीं "बेटा, बच्चों की छुटियाँ हो गयी हैं तो मायके आजा" ! मैं माँ को समझाते हुये बोली "माँ , कोरोनावायरस फैला हुआ है, ऐसे मेंघर से निकलना समझदारी नहीं है और वैसे भी छुट्टियाँ इस महामारी के चलते हुईं हैं ताकि सब सावधान रहें " !
माँ बोलीं "बेटा, अपनी गाड़ी में आ जाओ, कुछ नहीं होगा, यहाँ पार्टी करेंगे" एक बार फिर मैंने माँ को समझाया "जानती हूँ माँ कि आपको हमसे मिलने का बहुत मन है परन्तु एक महिना अगर हम नहीं मिले तो कुछ नहीं होगा, हम फोन पर बात करते रहेंगे, यह बहुत बहुत खतरनाक है, कहाँ और कैसे आक्रमण कर दे, कुछ नहीं पता, अपनी गाड़ी में आना भी सुरक्षित नहीं है क्यूंकि न जाने किस किस ने गाड़ी को जाने-अनजाने छुआ है और गाड़ी साफ़ करने वाला भी कहीं कोरोनावायरस से ग्रस्त हो तो, गाडी का दरवाज़ा खोलते या बंद करते हम लोग गाडी को हाथ लगायेंगे ही, पूरी सावधानी के बाद भी यदि दुर्भाग्यवश हम से किसी को भी कोरोना हो गया तो पूरा परिवार ग्रस्त हो जायेगा ! माँ.आप और पापा इस उम्र के उस दौर पर हो जहां इस तरह की संक्रमित बीमारी बहुत जल्दी अपना प्रभाव दिखाती हैं , जरा सी लापरवाही से किसी की जान को खतरे में डालना शि नहीं है !
"हां बेटा ! तू सही कह रही है" माँ ने समझदारी दिखाई !
"वो ही तो माँ..बस कुछ दिन की ही तो बात है, फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा और वैसे भी हम लोग फोन पर और विडियो चैट के जरिये एक दूसरे के साथ जुड़े रहेंगे" जैसे ही मैंने माँ को कहा तो वह बोली "अब समाज के प्रति हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने घरों में रहें, अपनी साफ़-सफाई का ध्यान रखें और बार-बार हाथों को धोते रहें" !
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