मुखौटा
हिंदी कक्षा में आज का अध्याय था "मुखौटा"...विस्तार से समझाने के बाद रितु मैम ने बच्चों को पाठ का निष्कर्ष बताया "..असली चेहरे पर नकली चेहरा लगा लेना....दिल के अंदर कुछ होना बाहर कुछ.." ! "तो बच्चो आज का होमवर्क है ..अपने आसपास के लोगों का निरिक्षण करके मुखौटा पहने व्यक्तियों को पहचानना" ।
"गुड मोर्निंग मैम" ..बच्चों ने एक साथ रितु मैम का स्वागत किया ! दिए गये होमवर्क पर चर्चा आरम्भ हुई...सबने अपना अपना अनुभव कह सुनाया परन्तु विभा का अनुभव निराला था..
विभा ने अपना अनुभव बांटते हुए कहा ..."मैम मेरे घर में तो सभी मुखौटे पहने हैं...."दादी दिन भर माँ को खरी-खोटी सुनाती हैं पर पापा के आने पर अपनी माला फेरने लगतीं हैं...माँ नानी से बतियाती है और कहती है की दिल की बात किस से कहूं....पापा मित्रों से धन की कमी का रोना रोते रहते हैं पर नई कार ओर बड़े फ्लैट लेने की पूरी तैयारी है.....भाई परीक्षा में नकल कर पास होता है और शाबाशी पाता है.....नेहा मेरी सबसे अच्छी मित्र है पर उसकी नई साईकिल को हाथ भी लगा दिया तो दो दिन तक बात भी नही करती"...रितु मैम मन ही मन सोच रहीं थी की इस दुनिया में जीना है तो हमको किसी-न-किसी मुखोटे का सहारा लेना ही पड़ता है ।
©सुनीता पवार
©सुनीता पवार
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