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कोरोना महामारी पर कविता

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 18 Apr, 2020 | 1 min read

विश्व में चारों ओर फैली महामारी है,

दिल में कैसे सबने नफरत उतारी है ।

मुंह खोले बैठी है मौत दरवाज़े पर ,

फिर भी बाहर जाने की बेकरारी है ।

हर कोई अपने हिसाब से बोल रहा

पुख्ता नहीं किसी को जानकारी है ।

दे रहा सलाह जो जिंदगी बचाने की,

वो शुभचिंतक राजा..क्या भिखारी है ?

मौत न सगी किसीकी, बेपरवाह न बन,

कल उसकी बारी थी, कल तेरी बारी है ।

देखो आज हुआ आदमी कितना मजबूर है

अपनी बनाई जंजीरों में बंधा हुआ लंगूर है

नासमझ ये भूल बैठा कि वो है खुदा नहीं

जो देगा वो पायेगा, सृष्टि का यही दस्तूर है

बेखौफ यूँ हुआ , जुल्म की सीमा लांघ दी

अब देख ये वक़्त भी कुछ कम नहीं क्रूर है

अधीर मत हो मन

हर बुरा समय सीखा जाता है

संयम, धैर्य, अनुशासन, अपना-पराया,

ईश्वर पर भरोसा, प्रकृति से प्रेम..

इंसान विवेक से गर काम ले

तो सब ठीक हो जाता है..

बुरा वक्त भी गुज़र जाता है

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Sunita Pawar

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