माँ का जन्मदिन मनाने के लिए निशा ने ख़ास तैयारी कर रखी थी..निशा ने कुछ पैसे जमा किये हुए थे माँ को ख़ास तोहफा देने के लिए..! निश्चित तारीख को निशा अपनी शर्मीली, भोली-भाली और सदा ही सादी रहने वाली माँ को ब्यूटी पार्लर में ले गयी..!
"अरे तू हमेशा यहाँ अकेले आती है..आज मुझे क्यूँ ले आई..पता है घर में कितना काम पड़ा है"..माँ ने कहा.!
रूही(ब्यूटिशियन) ने माँ का साज-श्रृंगार करना शुरू किया और चुप रहने की हिदायत दी.!
"माँ आपने कई साल घर और परिवार का ध्यान रखने में बिता दिए और अपनी तरफ ध्यान भी नहीं दिया..कभी सोचा ही नहीं की आप पर कौन सी साडी अच्छी लगेगी या किस तरह का जूडा आप पर फबेगा..अरे आप तो ये भी नहीं जानती की साज-श्रृंगार होता क्या है " माँ का रंग-रूप संवरता जा रहा था और निशा के शब्द निकलते जा रहे थे..!
"अरे बिटिया देखो मैं कितनी खूबसूरत लग रही हूँ"..माँ ने आईने को देखते हुए कहा..!
"माँ आप तो हमेशा से ही खूबसूरत हो"..निशा ने माँ को निहारते हुए कहा !
माँ किसी नई-नवेली दुल्हन सी शरमा उठीं थीं और बेटी निशा को गले लगा कर कानो में कहा "बहुत ही खूबसूरत और निराला तोहफा"..!
©सुनीता पवार
©सुनीता पवार
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