छोटू

इस कहानी में यह बताया गया है कि हम गरीब बच्चों को पढ़ा कर उनका जीवन संवार सकते हैं।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 25 Dec, 2019 | 1 min read

कूड़ा..कूड़ा..आवाज़ के साथ दरवाज़े की घंटी बजते ही ममता कूड़े का डिब्बा ले कर बाहर आई ! उसने देखा की आज कूड़ा उठाने वाले भैया के साथ लगभग ग्यारह-बारह साल का लड़का भी आया था ! "इसे तो पहले कभी नहीं देखा" ममता ने पूछा..!..अरे! भाभीजी मेरा बड़ा बेटा है..अब इसको भी तो काम पर लगाना है" ! .. "इसको स्कूल क्यूँ नहीं भेजते ? पढ़ेगा लिखेगा तो अच्छी नौकरी भी मिल जाएगी"..ममता बोली ! "इतना नहीं कमाते हैं की बच्चों को स्कूल भेज सकें..काम सीख लेगा तो कम-से-कम रोटी तो खा सकेगा ! "हाँ वो तो है" कह कर ममता अंदर जाने लगी. "आंटी आंटी कुछ खाने को दे दो ..बहुत भूख लगी है" लड़के ने कहा ! ममता ने उसको खाना देते हुए उसका नाम पूछा..जल्दी जल्दी खाते हुए उसने कहा "छोटू" !

अगले दिन फिर छोटू अपने पिताजी के साथ आया! ममता ने कूड़े का डिब्बा बाहर रखा तो छोटू ने फिर खाने को माँगा..ममता ने उसको खाना देते हुए कहा "छोटू ! क्या तेरा पढने लिखने का मन नहीं करता ? छोटू ने खाते हुए हां में केवल सिर हिला दिया...और करता भी क्या..अधूरा सा सपना जो था ! ममता ने कहा तो ठीक है तेरे पिताजी के काम ख़तम होने तक मैं तुझको थोडा बहुत पढ़ा दिया करूंगी ..छोटू भी मान गया !

अब क्या था..ममता ने ये जिम्मेदारी सँभालने की ठान ली परन्तु उसके सास-ससुर उस से बहुत नाराज़ हुए ! "अरी बहु ये गरीब लोग चोर होते हैं चोर....जैसा है इसको वैसा ही रहने दे" ! पर ममता अपनी बात पर अडिग रही ...माँ-पिताजी ने साफ़ कह दिया था की इसको घर से बाहर ही पढाना ! छोटू रोज़ ममता से खाना मांगता ओर पढने लगता !

अब छोटू छोटे-छोटे वाक्य ,थोडा बहुत हिसाब और अपना नाम भी लिखना सीख गया था !

दरवाजे की घंटी बजते ही अंदर से सास-ससुर की आवाज़ आती " फिर आ गया वो भिखारी"..! छोटू ने आज ममता से पूछ ही लिया "आंटी ये लोग कब तक मुझे भिखारी और चोर बोलते रहेंगे"..इस पर ममता ने कहा "छोटू ! जिस दिन से तू खाना मांगना छोड़ देगा और अपनी मेहनत का खायेगा..!.

"नमस्ते अंकल..मैं ममता बोल रही हूँ..कुछ समान मंगवाना हैं"....ममता ने रोशन अंकल को फोन पर कहा ..! बिटिया....तुमको खुद ही आना होगा..आजकल मेरी दूकान पर कोई लड़का नहीं है ..रोशन अंकल ने अपनी मजबूरी बताई ..! ममता को समझ आ गया था की रोशन अंकल को अपनी परचून की दुकान में हाथ बटाने के लिए किसी लड़के की जरुरत है ! बस फिर क्या था ममता ने छोटू की फटाफट सिफारिश कर दी ! छोटू अब रोशन अंकल का हाथ बटाने लगा था..! ममता और रोशन अंकल दोनों ने मिलकर छोटू का स्कूल में दाखिला भी करवा दिया था...!..

ममता की सच्ची आस्था ने छोटू के जीवन की दिशा ही बदल दी थी.. ये उसकी आस्था का ही पुरस्कार था की अब छोटू उस के घर खाना मांगने नहीं खाने का सामान पहुचाने आता था !

©®सुनीता पवार

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Sunita Pawar

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