प्यार
❤️
सच कहुँ तो मे जिस से प्यार करुँगी
उसके कदमों कि छाप बनकर
नहीं
उसके कंधे से भार को उतार कर
अपने कंधो को दूंगीकि उसका हमदर्द बन सकू
पता नहीं
मुझे से देखा नहीं जाएगा
क्यूंकि मेरी परवरिश ये हिम्मत देती है कि
क्यों एक मर्द ही एक औरत कि खुशियाँ
जरुरत
दुःख सब बाँट सके
क्या एक औरत नहीं समेट सकती उसके भार को
दुःख को
और उसकी मुसीबत मे
उसका
हाथ पकड़ कर कि
ये दो शब्द कहने से अच्छा
मैं हूँ ना कि जगह
मैं और तुम मिलकर कर लेंगे ना सब
संभाल लेंगे जो मुसीबत है
दुःख है
बाँट लेंगे एक दूसरे मे
तुम दुःख को मैं सुख को दूंगी
साथ वचन तो सब लेते है ना
मैं लेना चाहूंगी
खुद वो वचन जो कभी बोझ ना लगे उसे,,
रहूंगी हर मोड़ पर जहाँ गिरोगे तुम
और घबराना मत अगर चार लोग हो
रो लेना अगर चार लोग
ये समाज देखे मे कविता नहीं लिखूँगी मेरे जज़्बात है तुम्हारे लिए
मैं बंधन के दायरे तक सिमित नहीं करुँगी तुम्हे
जो मन करे करना
पर टूटना मत
क्यूंकि शायद वो ना देख़ सकूँ मैं कभी अपनी इन आँखों से कभी
मैं प्रेम इस तरह निभाना चाहूंगी तुमसे!
मीनाक्षी बसवाल ❤️✍️♥️
Paperwiff
by meenakshi