आज़ादी : एक एहसास
आज़ादी मात्र एक शब्द नही
आज़ादी है एक एहसास
जैसे निराश हताश जीवन को
मिलती है जीने की आस
आज़ादी का मतलब उनसे पूछो
जो कैद थे अपने ही मकान मे
जब भारत पराधीन रहा मगर
झुका नही किसी की झूठी शान में
खुद्दारी का रस पीने वालों के लिए
तब आज़ादी थी एक प्यास
आज़ादी मात्र एक शब्द नही
आज़ादी है एक एहसास
आज़ादी की कीमत अदा की उन्होंने
रक्त से भारत भूमि सींचकर
जन जन बलिदान को व्याकुल था
मातृभूमि पर मरने को था तत्पर
उन वतनपरस्तो से पूछो
स्वतंत्रता है कितनी अमूल्य कितनी खास
आज़ादी मात्र एक शब्द नही
आज़ादी है एक एहसास
©
मनप्रीत मखीजा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
वाह
Wahhh
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