'लॉक डाउन का माहौल है और सभी लोग घर पर है। ऐसे में परिवार को एक साथ वक़्त बिताने और यादें बनाने का मौका मिल गया। बच्चे इंडोर गेम खेल रहे है , औरते किचन में नई नई रेसेपिज ट्राय कर रही है, घर के मर्द भी जी भरकर आराम फरमा रहे है और अपनी नींद पूरी कर रहे है।' रेखा ने अखबार में छपे आर्टिकल को पढ़ कर अपने ससुर जी को सुनाया।
ससुर जी थोड़े चिड़चिड़े से हो गए है आजकल। मॉर्निंग वॉक पर नही जा पा रहे, न कोई दोस्त मिलने आ पा रहे है कि चाय पर गपशप हो जाये और शाम की वो नुक्कड़ वाली चौपाल भी बंद हो गई।अब ऐसे में बुजुर्गों का चिढ़ जाना स्वाभाविक था।
रेखा का बेटा मोहित , पिछले महीने ही हॉस्टल से घर आ पाया। हॉस्टल में रहने की वजह से मोहित को भी अपने एक अलग लाइफस्टाइल की आदत थी। अब दोस्तो से मिल पाना भी मुश्किल था। रेखा अपने ससुर जी और बेटे मोहित के चिड़चिड़ेपन और टाइम पास का एक तोड़ निकाला। रेखा ने एक टाइम टेबल तैयार किया और बेटे और ससुर जी को पढ़ कर सुनाया।
सुबह 7.30 बजे मोहित अपने दादा जी को घर के बगीचे में बागबानी में जॉइन करेगा। प्रकृति के नजदीक रहेंगे दोनो तो स्ट्रेस भी नही होगा।
नहाने, धोने और नाश्ते के बाद 10 बजे दोनो दादा पोता मिलकर चैस खेलेंगे और दिमागी कसरत करेंगे।
साढ़े गयारह बजे टीवी पर खबर सुनेंगे और दुनिया देश की जानकारी रखेंगे।
एक बजे खाना खाकर कुछ घण्टे आराम और फिर चार बजे, दादाजी के साथ मिलकर चित्रकारी की जाएगी। अपने आप को तराशना भी जरूरी है।
छह बजे थोड़ी पारिवारिक गपशप जिसमे रेखा और रेखा के पति भी शामिल होंगे सभी लोग अपने अपने बचपन के किस्से साझे करेंगे।
सात बजे पूरा परिवार मिलकर ईश वंदना, आरती और ध्यान करेंगे। मन को शांति मिलती है।
आठ बजे खाना और उसके बाद मोहित अपने दादाजी को ईमेल करना सिखायेगा ताकि दादाजी दूर विदेश में बैठे अपने मित्रों से बातें कर सके। नए जमाने के साथ कदम मिलाकर चलने में क्या बुराई भला!
दस बजे मोहित अपने दादाजी के पैरों की मालिश करेगा और दादाजी आध्यात्मिक किताबें पढ़कर मोहित को सुनाएंगे। और उसके बाद नींद व दिन समाप्त।
ये टाइम टेबल सुनकर ही मोहित और दादाजी उत्सुक हो गए । इसे फॉलो करते करते लॉक डाउन कैसे बीत गया पता ही नही चला। सच मे , ये दिन एक तरह का बोनस ही तो है जो परिवार को एक दूसरे के नजदीक ला रहे है। नकारात्मक विचारों को छोड़ सकारात्मक जीवन जीना और ऊर्जा से भरपूर रहना हर दिल , हर चेहरे को खिला सकता है फिर क्या बच्चा, क्या बुजुर्ग और कैसा लॉक डाउन!
©मनप्रीत मखीजा
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