पुनर्जन्म? बदले के लिए!! भाग - 4

ये इस कहानी का आखिरी भाग है। आशा है ये कहानी आपको पसंद आएगी। पर क्या आप पुनर्जन्म में अब भी विश्वास नहीं करते हैं ? या, करते हैं ?

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Manoj Kumar Srivastava
Manoj Kumar Srivastava 14 Sep, 2022 | 1 min read

"लाल चंद, महिला थाना इंचार्ज को फोन लगाओ। बोलो मैंने याद किया है। यहां मेरे ऑफिस में आकर मिले।"

"सर", लाल चंद आदेश का पालन करने में जुट गए।

थोड़ी ही देर में दोनों महेश के ऑफिस पहुंच गए। महिला थाना इंचार्ज, शीला चौहान, उन लोगों का वहां इंतजार कर रही थीं।

महेश ने शीला को आदेश दिए। ढंग से समझाया की क्या करना है। शीला ने बात को समझ लिया और महेश को सैल्यूट कर वहां से चली गई। महेश के पास भी इस समय कुछ ज्यादा करने को था नहीं। तो वो भी घर को निकल लिया।

"क्या हुआ महेश? कुछ मामला आगे बढ़ा?" सुमन ने उत्सुकता से पूछा।

"मामला आगे बढ़ा! अरे! मामला तो सुलझ गया। पर बहुत ही अजीब और हृदय - विदारक। दया आती है रामू, मेरा मतलब है उत्तम पे", महेश ने बेड पे लेटते हुए कहा। दिन भर की भाग दौड़ से वो थक गया था।

थोड़ी देर बाद महेश उठा और अच्छे से नहाया। फिर हल्का डिनर लिया। सुमन बेड पर ही उसका इंतजार कर रही थी। महेश ने धीमे धीमे सारी कहानी उसे सुना डाली। रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी। सुमन की हिचकियां थीं की रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं। रामू को सीने से चिपकाए रोते रोते वो धीरे धीरे नींद में खो गई। महेश भी बगल में लेटे हुए खर्राटे भरने लगा।

अगला दिन...

महेश सीधा महिला थाना पहुंचा। शीला चौहान उनका इंतजार कर रहीं थीं। कोने में फैशनेबल कपड़े पहने हुए एक महिला कुर्सी पर बैठी थी। शीला ने महेश को सैल्यूट किया और उससे मुखातिब हुई।

"सर, ये रीता आहूजा है। किसी तरह से मानने को तैयार नहीं थी। मुझे ही धमका रही थी। कड़ाई से फिर मैने इससे पूछताछ की और सारी बातों से अवगत कराया। अंत में जब मैने उसे उत्तम की अंगूठी दिखाई तो वो टूट गई। अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसका बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो चुका है।" शीला चौहान ने विस्तार पूर्वक सब बताया।

"बहुत अच्छा कोतवाली चलते हैं।" महेश कोतवाली को निकल लिया। उसके पीछे शीला चौहान भी, रीता को अपनी गाड़ी में बैठा कर कोतवाली के लिए चल पड़ीं।

कोतवाली में लाल चंद और महेश्वर डैम थाना इंचार्ज उनका इंतजार कर रहे थे।

"क्या रिपोर्ट है लाल चंद यहां?" महेश लाल चंद की तरफ मुखातिब हुए।

"सर, रमेश अड़ा हुआ है। किसी तरह मानने को तैयार नहीं है।"

"परेशान मत हो। वो भी गाएगा। उसको नहीं मालूम है की रीता हमारे कब्जे में है और मजिस्ट्रेट के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। जब रीता का उससे सामना कराएंगे तो गाएगा", महेश के स्वर में कड़ाई भरा विश्वास झलक रहा था।

दोनों उस कमरे में चल दिए जहां रमेश को पूछताछ के लिए बैठाया गया था। रीता को दूसरे कमरे में बैठाया गया।

"हां तो आहूजा, तुमने अपने भाई को ही मार डाला", अंदर घुसने के साथ ही महेश ने कड़क आवाज में सवाल दाग दिया।

"क्या बकवास है! मैं घंटों से आपको समझा रहा हूं, बता रहा हूं, भाई नदी के बहाव में बह गया। हमने बहुत कोशिश की उसे बचाने की। नहीं बचा पाए। फिर भी आप लोग एक ही रट लगाए हुए हैं। न जाने क्या सिद्ध करना चाहते हैं। इतने दिन बाद इस इंक्वायरी का मतलब?" रमेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो झुंझलाया हुआ तो था ही पर साथ ही साथ कुछ डरा हुआ भी था।

"ठीक है। लाल चंद इनकी पत्नी या कहना चाहिए इनकी भाई की पत्नी रीता आहूजा को ले आओ। शायद उनके बताने से इनको कुछ याद आ जाए।"

रीता जब अंदर आई तो उसके एक हाथ में लोहे की रॉड थी जिससे उत्तम को मारा गया था। रीता को सामने, रॉड के साथ देख कर रमेश का चेहरा लटक गया। उसको तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ की हो क्या रहा है। वहीं रीता की आंखें रो रो कर लाल हो चुकी थीं। शरीर जैसे बेजान हो गया था।

"बैठो। अब रमेश तुम बताओगे या तुम्हारी पत्नी से कहा जाए की तुम्हे याद दिलाने में मदद करें", महेश गुस्से से भरा हुआ था।

"हां मैने किया था। न जाने मुझे क्या हो गया था।" रमेश ने अपना मुंह हथेलियों में छुपा लिया।

"गिरफ्तार कर लो इन्हे!!" महेश ने लगभग चीखते हुए कहा। महेश्वर डैम थाना इंचार्ज ने आगे बढ़ कर उन्हे अपने गिरफ्त में ले लिया।

मजिस्ट्रेट के सामने उनकी पेशी हुई और बयान रिकॉर्ड किया गया। बाकी के तीन लोग भी उनकी गवाही से गिरफ्तार किए गए।

उत्तम एक अच्छा इंसान था, कामयाब बिजनेसमैन था पर नपुंसक था। बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर सकता था। समय के साथ रीता रमेश की तरफ खिंचने लगी। दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए। उत्तम को भी इसकी घबर लग गई। इश्क और मुश्क छुपाए कहां छुपते हैं ! रीता और उत्तम के बीच लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया। मार पीट तक नौबत आ गई। तब रीता और रमेश ने मिलकर प्लान बनाया की कैसे उत्तम को रास्ते से हटाया जाए। रमेश इंश्योरेंस ऑफिस में काम करता था। उसे मालूम था की उत्तम ने एक करोड़ रुपए का अपना बीमा करवाया था। रीता नॉमिनी थी। उत्तम की मौत के बाद सारा पैसा रीता को मिलना था। उसने अपने प्लान में अपने तीन दोस्तों, राजन, आनंद और श्याम को मिलाया। तय हुआ की पैसा मिलने के बाद तीनों को दस दस लाख रुपया मिलेगा। इन्हीं तीनों को पूरा पेपर वर्क करना था, रुपए के भुगतान का। प्लान में आगे, रमेश ने ऐसा दिखाया की उसको अपने किए पर पछतावा है और वो पश्चाताप करना चाहता है। उसने घर भी बदल लिया और इस बीच रीता से भी दूर रहा। धीरे धीरे उत्तम ने भी उसे माफ कर दिया। उत्तम का विश्वास जीतने के बाद उसने अपना प्लान आगे बढ़ाया। आनंद ने सभी को महेश्वर डैम, अपने जन्मदिन पर इन्वाइट किया। जब चलने का समय हुआ तो रीता ने तबियत खराब होने का बहाना बना दिया। तो पांचों डैम को चल दिए। दिसंबर का महीना था। सड़क भी लगभग खाली थी। कोहरे की हल्की चादर सभी को अपने आगोश में समेटे हुए थी। जैसे ही वो लोग पुल के पास पहुंचे अचानक उनकी कार रुक गई। आनंद ने कहा की शायद कुछ गड़बड़ है। वो कार को ठीक करने का नाटक करने लगा। रमेश ने ऊपर चल कर चट्टान पर बैठने का सुझाव दिया। कहा थोड़ा रिलैक्स हो जायेंगे। चारों चट्टान की तरफ चल दिए। पीछे पीछे आनंद भी लोहे की रॉड लेकर आ गया। अचानक चारों ने उस चट्टान के पीछे उत्तम को पकड़ लिया। फिर जैसा रामू ने बताया था उसी तरह चारों ने मिल कर उत्तम को मार डाला। मारने के बाद आनंद नीचे गया और कार से एक रस्सी निकाल कर ले आया। सीने से एक पत्थर को बांध कर, उत्तम की लाश को पीछे ही बह रही करणी नदी के बहाव में धकेल दिया गया। प्लान के हिसाब से इसके बाद वो लोग नीचे आए। कार से महेश्वर डैम थाने पहुंचे। रमेश ने अपने भाई के नदी में बह जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई। महीने भर तक पांचों चुप रहे। मामले को ठंडा होने दिया। फिर उत्तम के बीमे की रकम के पेपर पूरे किए गए। रकम का भुगतान रीता को हो गया। ईमानदारी से पैसा, तय प्लान के अनुसार, तीनों को मिला। बाकी का रीता और रमेश के पास रह गया। कोई डेढ़ साल बाद, रीता को सपोर्ट करने का दिखावा करते हुए, रमेश ने रीता से शादी कर ली। सब कुछ बढ़िया चल रहा था। तब तक जब तक, प्रकृति ने दखल देकर गलत को सही करने की नहीं ठानी।

रमेश को फांसी हुई। बाकी तीनों को उम्र कैद। रीता को सात वर्ष का सश्रम कारावास दिया गया। रामू का नाम रमेश से बदल कर अमिताभ रख दिया गया। अमिताभ आज बड़ा हो गया है और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। बुरे सपने अब उसे परेशान नहीं करते हैं। उन लोगों के पकड़े जाने के बाद वो सपने फिर से उसे नहीं आए। महेश ने भी वहां से दूसरे शहर में ट्रांसफर ले लिया। अब सुमन और महेश काफी संतुष्ट और प्रसन्न रहते हैं। कोई और भी है जो काफी संतुष्ट और प्रसन्न है। वहां ऊपर !!





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