उनको पता होना चाहिए! (वैचारिक अन्तर्विमर्ष)

मेरा लेख उन सभी किशोर-किशोरियों और युवक-युवतियों के लिए है, जो अपनी ज़िंदगी से तंग आ चुके हैं। कुछ का परेशानी का आलम तो ये है कि वो अपनी ज़िंदगी समाप्त कर देना चाहते हैं। आप की ज़िंदगी है, मन करे तो समाप्त कर दीजिए। पर, ऐसा करने से पहले क्या आपको उनसे पूछना नहीं चाहिए?

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Manoj Kumar Srivastava
Manoj Kumar Srivastava 16 Jun, 2022 | 1 min read

मेरा लेख उन सभी किशोर-किशोरियों और युवक-युवतियों के लिए है, जो अपनी ज़िंदगी से तंग आ चुके हैं। कुछ का परेशानी का आलम तो ये है कि वो अपनी ज़िंदगी समाप्त कर देना चाहते हैं। आप की ज़िंदगी है, मन करे तो समाप्त कर दीजिए। पर, ऐसा करने से पहले क्या आपको उनसे पूछना नहीं चाहिए?

मान लीजिए, आप कोई चीज़ बहुत मेहनत, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाते हैं। आपका कोई मित्र आपसे मिलने आपके घर आता है। आप दोनों मिल कर खूब मज़े करते हैं, हँसते खिलखिलाते हैं। कई बातें होती हैं, कई प्रपंच-गप्प का आदान-प्रदान होता है। बातों-बातों में आपका मित्र, आपसे उस चीज़ की माँग करता है, जिसे आपने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया है। आप उसे देने में हिचकते नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि आपका मित्र उसको बहुत संभाल कर रखेगा। खुशी-खुशी आपका मित्र विदा लेता है।आपका मित्र आराम से अपने घर पहुँच जाता है। जिंदगी आगे बढ़ती है। आपका मित्र जीवन में बहुत कुछ हासिल करता है। अभी उसे और आगे बढ़ना है। अचानक, उसकी जिंदगी में भूचाल आ जाता है। वो चीज़, जिसे आपके मित्र ने आपसे लिया था, जिसे आपने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया था, याद है? उसी चीज़ की वजह से, आपका मित्र बहुत बड़ी परेशानी में पड़ जाता है। उसकी परेशानी उसका जीवन अस्त-व्यस्त कर देती है। हृदय पर पड़े घाव और पीड़ा यथावत रहते हैं। वो इतना परेशान हो जाता है कि, वो उस चीज़ को नष्ट कर देना चाहता है, जिसे आपने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया था। क्या वो उस चीज़ को ऐसे ही नष्ट कर देगा। नहीं! बिलकुल नहीं! उसकी आत्मा उसे धिक्कार उठेगी। उसको अन्तर्मन उससे चीख-चीख कर कहेगा, "जाओ, अभी जाओ। पहले अपने मित्र से पूछो, उसकी इज़ाज़त लो, कि तुम उसकी उस चीज़ को नष्ट कर देना चाहते हो जिसे उसने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया था।"

वो भाग कर आपके घर आता है। आप दोनों में बात-चीत होती है, वाद-विवाद होता है। वो आपसे कहता है, " मैं जो चीज़ तुमसे ले गया था, उस चीज़ की वजह से मेरे जीवन में बहुत परेशानी आ गयी है। मैं उस चीज़ को नष्ट कर देना चाहता हूँ।" आपका उत्तर क्या होगा? क्या आप कहेंगे, "हाँ, हाँ, आगे बढ़ो। नष्ट कर दो।" नही! तो फिर? आप चीख पड़ेंगे और उस चीज़ को उसके हाथों से झपट कर छीन लेंगे। "तुम्हारी हिम्मत कैसे पड़ी इसे नष्ट करने की। इसे मैंने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया है। इसे नष्ट करने का अधिकार तुम्हे किसने दिया?"

तो मित्रवर, तुम्हारी माँ तुम्हारे सामने खड़ी है। जाओ, आगे बढ़ो और बता दो उसे, की तुम अपनी ज़िंदगी समाप्त कर देना चाहते हो जिसे उसने बहुत मेहनत से, अत्यंत प्रेमपूर्वक और गर्व से बनाया है। कम से कम, उसे तो पता होना चाहिए, की तुम उसकी चीज़ को नष्ट कर रहे हो।


उनको पता होना चाहिए!




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Manoj Kumar Srivastava

manojkumarsrivastava

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • AM · 2 years ago last edited 2 years ago

    बहुत सही बात है। हमारे जीवन पर पहला अधिकार हमारी माँ का है। बहुत सटीक बात कही है आपने।

  • Manoj Kumar Srivastava · 2 years ago last edited 2 years ago

    धन्यवाद।

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