#मेरीपहचान my identity
खोल बंद दरवाज़ों को
निकलने लगे हैं हम
ज़रा ज़रा ही सही
बदलनें लगे है हम
दरकार नहीं अब हमें
किसी जे़बाई की
अपने अंदर की अदा से
निखरने लगे हैं हम
बंधे हुए थे हम
किसी झील की मानिंद
तोड़ हर तटबंध
किसी दरिया की तरहा
बहनें लगे हैं हम
काट कर रख दिए थे
पंख ज़माने नें फिर भी
अपनें हौसलों से उडान
अब भरनें लगे हैं हम
मंजुला एम दूसी
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