" "कितनी कड़वाहट भरी है इसकी जुबां मे... " "
" "हाँ बिलकुल; इसे देख मन कसैला हो जाता है... " " - मुंह बिचकाये एक और से आवाज़ आई.
" "पता नहीं क्या खा कर पैदा किया; गुस्सा तो हमेशा नाक पर रहता है. जब देखो मार-पीट करता रहता है और बोली करेले से भी कड़वी ... " "- एक और फब्ती.
" एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा .." " - दूसरी तरफ से व्यंग्य.
" "मंजुला कैसी औलाद है तेरी; बोया भी तो क्या कड़वा नीम... तेरा बेटा नीम का पेड़ है; जिसका हर भाग कड़ुवेपन से भरा हुआ है..." " एक-एक कर मोहल्ले और आस-पास के सभी लोग मंजुला को उसके बेटे के कसैलेपन के कारण कोस रहे थे.
सरल, कोमल और नम्र स्वभाव की मंजुला ने आज तक ना ही किसी को जवाब दिया और ना ही कभी गुस्सा, पर आज उसका सब्र; क्रोध बनकर प्रतिउत्तर देने लगा.
" "बस!! बहुत बोल लिया आप सभी ने. बिलकुल सही कहा आपमेरे बेटे की जुबां बहुत ही कड़वी है क्योंकि उसे झूठ बिलकुल भी स्वीकार नहीं है और सच हमेशा कडुवा ही होता है." "
" "मैंने अपने बेटे में सत्य के बीज रोपण किये है; इसलिए मैंने अपने बेटे का नाम सत्या रखा है. गलत बोलना और गलत देखना भी उसे मंज़ूर नहीं है. महिलाओं का सम्मान करना और उनके हक के लिए लड़ना ही उसका पहला धर्म है." "
" "बिलकुल सही... मेरा सत्यानीम का पेड़ है, जिसका हर भाग कडुवा; लेकिन गुणकारी है. " "
" "सत्या ने पुलिस की वर्दी पहन; अपना धर्म निभाया है. आपके पति, नशे की हालत में गाली-गलौच करते हैं वो आपको मंज़ूर है, लेकिन सत्या के कडुवे बोल आपको पसंद नहीं क्योंकि उसने आपके पति की बेइज़्ज़ती कर दी." " - मंजुला ने मिसेज चटर्जी की तरफ देख कर कहा.
" "और मिसेज दास; आपने अपनी बेटी-समान बहु को कितना सताया. लेकिन सत्या ने आप जैसे राक्षसों से उसे बचाया. इसलिए आपका मन कसैला हो गया." "
" "माफ़ करना मिसेज उपाद्यय; मैंने सत्या को क्या संस्कार दिए इसका सत्य प्रमाण उसकी काबिलियत और पूरी पुलिस फाॅर्स में उसका नाम ही काफी है. लेकिन आपने अपने दोनों बेटों को क्या संस्कार दिए ये तो पूरा ज़माना जानता है. आपका एक बेटा चोरी के आरोप में तो दूसरा बलात्कार जैसे घिनौने आरोप के कारण सलाखों के पीछे है और आपकी ही परवरिश का आईना है." "
" "मेरा सत्या नीम का पेड़ है; जिसका हर भाग कडुवा ज़रूर है पर दिल में मिठास है. उसके हाथ कड़क ज़रूर है लेकिन उनमें कोमलता का एहसास है. उसके काँधे पर सर रखते ही नीम की छाया की भाँती ठंडक और शीतलता मिलती हसत्या; नीम की भाँती गुणकारी है. नीम समाज को खोखला करने वाले घुन और कीड़ों का सफाया करने के लिए ही काफी है.
साथ ही ये एक ऐसा पेड़ है; जिसका हर हिस्सा किसी न किसी बीमारी के इलाज में कारगर है." "
"कुछ कड़वा नीम-सा है तू;किसी के लिए दवा;
तो किसी के लिए ज़हर सा है तू..."
तालियों की गड़गड़ाहट सुन मंजुला; अतीत की गलियों से वर्तमान की और झांकती है; स्टेज पर अपने सत्या को उसकी सत्यता, ईमानदारी और बहादुरी के लिए सम्मानित किया जा रहा है. मंजुला का सर गर्व से ऊंचा हो जाता है.
नीम के पेड़ से झांकती हुई सूरज की किरणें; सत्या की सत्यता की आभा के समान फैलने लगी, जिससे कडुवे नीम की सुकोमल पत्तियां और भी गहरे और चटकीले हरे रंग में उजागर हो गई.
दोस्तों!! आपको मेरी रचना कैसी लगी? अपनी बहुमूल्य राय; मुझसे अवश्य सांझा करें.
मंजरी शर्मा ✍️.
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