आग
पिता ने नाम रखा ज्वाला; पर सौतेली माँ ने, ना खिलाया निवाला; पति संग अग्नि के लिए फेरे; पर वो दिल की बात ना जान पाए मेरे; समाज ने ना जाने क्या दी शिक्षा; कदम-कदम पर देती रही मैं अग्निपरीक्षा; दहेज की आग में जलती, कभी झुलसती रही; पर इस समस्या का मिल ना पाया समाधान; और अंत में भी इस अग्नि के हवाले कर; कर दिया मेरा अंतिम संस्कार...

Paperwiff

by manjrisharma

07 Dec, 2020

आग

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