आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे डर था। गांव का हवा पानी मुझपे ऐसे चढ़ा था की लग रहा था हम गांव में नहीं बसे बल्कि गांव मेरे रग रग में बस गया हो । और ऐसा क्यों नहीं हो आखिर इतनी सुकून भरी ज़िन्दगी, इतनी चिंतामुक्त जीवन, इतनी अच्छी नींद, इतनी शांति, अपने ही खेत से उपजे शुद्ध अनाज, सब्जी, फलो का सेवन, प्लास्टिक फ्री जोन, चापाकल का मीठा जल, पेड़ की छाव में मदमस्त पूर्वा हवा का आनंद , और कभी कभी स्वस्थ पेय नीरा का सेवन ।
इन सब के अलावा अपने गांव के हरेक व्यक्ति मुझे दरोगा जी के पोता के नाम से जानते हो हर व्यक्ति अपने ३ से ४ पुश्तों के घर में रह रहा हो और हर कोई हर किसी को जानता हो ये तो गांव नहीं एक परिवार ही है। सोचो शहर में कई बार हाई राइज बिल्डिंग्स में माचिस के डब्बे से फ्लैट्स में हम लोग अपने पडोसी का नाम भी नहीं जानते और इसके ठीक विपरीत गांव में एक चक्कर लगा लो सुबह सुबह कोयल की कूक से स्वागत होता है, फिर पूर्वा हवा हमारे गालो को छूती हुई हमें आनंदित करती है उसके बाद जो भी रस्ते में मिले हर कोई नमस्ते सलाम करे जैसे परिवार का सदस्य ही हो। कितना अपनापन है गांव में।
चलो बहुत बह लिया गांव के साथ। हमने तो पढाई लिखे कर के इंजीनियरिंग की है फिर गांव में रहने का सौभाग्य कैसे प्राप्त हो। चलो फिर भी कोशिश रहेगी जितना रह पाए।
वैसे तो हम मर्दों को रोने का हक़ नहीं है क्यूंकि लोग रोने वालों को कमज़ोर कह देंगे, फिर भी आज आंसू नहीं थमें । मेरे पापा जो हर मिनट पे मनीष मनीष पुकारते रहते थे, आज आंसू से नम हो गए थे। मम्मी ऊपर से बहुत स्ट्रांग है और मैं सलाम करता हूँ उनके जज्बे को। वैसे भी दोनों मे से एक को तो अपने जज्बात पर काबू करना ही पड़ता है। उन्होंने पापा को भी संभाला और मज़ाक भी किया जिससे की माहौल बदल जाये। इसी अश्रुपूरित विदाई के साथ गांव से बिदाई हुई, पापा, मम्मी, बड़ी चाची और सब बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और जल्दी दुबारा आने को मैंने प्रॉमिस किया।
खैर मिलना बिछरना तो जीवन का अंग ही है। चलता हूँ अब फिर से शहर की ओर, अपने घरौन्दे की ओर। मेरी पत्नी और बच्चे भी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
आशा करता हूँ आप सभी मेरे अनुभव से प्रेरित होकर अपने गांव का चक्कर लगाएंगे। खासकर जो वर्क फ्रॉम होम कर सकते हैं कुछ दिन वर्क फ्रॉम विलेज करले इससे पहले की मौका हाथ से निकल जाये।
यकीन मानिये आपको अपने गांव से प्यार हो जायेगा। और हो सकता है आप भी अपनी कलम से कुछ लिखना शुरू कर दे।
मनीष की कलम से
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